त्रियुगीनारायण जख ह्वे छायी शिवजी अर माता पार्वती कु ब्यौ
हिमवंत देस होला त्रिजुगी नारैण, द्यबतौं मादेव ठुला त्रिजुगी नारैण।
जी हां! त्रि + युगी + नारायण भगवान विष्णु कु मंदिर च। यख भगवान नारायण अर लक्ष्मी विराजमान छन। त्रियुगीनारायण जख सतयुग मा भगवान शिवन माता पार्वती क दगड़ि ब्यो कै छायीं।
ऐ ब्यौ मा भगवान बिष्णु न माता पार्वती कु भै कु कर्तव्य निभै छायीं अर ब्रह्मा जी ब्यौ का आचार्य छायीं।
शास्तु मा लिखेग्यायी कि यीं जगा मा शिव जी अर माता पार्वती कु ब्यौ ह्वे छायी। अर यी बातिकु गवाह तीन युगु बिटि जलणि आग च। ब्वलें जान्द कि गौरीकुण्ड म कैलाश पुत्री पार्वतती न भगवान शंकर तैं प्राप्त करणा खूणि तप कायी, पार्वती से खुस ह्वे कि भगवान शंकरन ऊतैं दर्शन दीन अर कुछ मंगणा खूणि बोलि। पार्वती भगवान शंकर से ब्यौ करणा इच्छा बतै त भगवान शंकरन पार्वती तैं बौत समझै पर पार्वती नी मानि अर बोलि कुछ बि ह्वे ज्यां मिन ब्यौ तुम से हि करण। त भगवान शिव त्यार ह्वेग्यीन अर भगवान शिव अर पार्वती कु ब्यौ त्रियुगीनारायण मा ह्वेग्ये।
ऐ मंदिरा सबसे बड़ी खास बात या च कि जै हवन कुण्डम अग्नि तैं साक्षी मानिकि भगवान शिव अर माता पार्वती कु ब्यौ ह्वे छायीं वै कुण्डम आज बि आग जगणि रैंद। अर मन्यें जान्द कि या दिव्य आग ब्यौ कु बगत बिटि जलणि च। इल्लै ऐ मंदिर तैं अखण्ड धूनी मंदिर बि ब्वलें जान्द। यखा मान्यता च कि हवन कुण्ड रंगड़ु (राख) भक्तु क वैवाहिक जिन्दगि मा राजि-खुसी रैंणा आशीर्वाद देन्दि। यु कुण्डा आग भगवान शिव अर पार्वती ब्यौ क गवाह च।
मंदिरम चार कुण्ड हौरि छन जैमा ब्रहम कुण्ड, रुद्रकुण्ड, विष्णुकुण्ड, सरस्वती कुण्ड छन। इन्नु ब्वलें जान्द कि यु कुण्डु म पाणि तैं हत्थ लगौंण से हि कतगै बिमरि दूर ह्वे जन्दिन।
त्रियुगीनारायण मंदिर कत्यूरी शैली मा बणयू च। गर्भगृह क भितर भगवान नारायण, लक्ष्मी, सरस्वती, कुबेर, क्षेत्रपाल, बदरीनायण रामचन्द्र अर शंकर पार्वती क मूर्ति तैं पांच पांडवौं क बीच मा जगा दिये ग्यायी।