वंडर ट्री “भ्यूंळ”
उत्तराखण्ड मा बौत सर्या औषधीयों का डाळा छन। जैमा एक डाळा कु नौं भ्यूंळ। जैकु लेटिन नाम च ग्रेवीया अपोजीटीफोलिया। ऐ तैं वंडर ट्री बि ब्वले जांद। भ्यूंला डाळा लम्बै 9 से 12 मीटर तक हूंद।
आयुर्वेद मा भ्यूंळ पर बड़ा शोध कर्ये ग्यींन। भ्यूंळा डाळा क भौंटा अर पत्ता गौरु क खाणा खूणि बौत भलु हूंदन।
भ्यूंळा पत्तों मा प्रोटीन अर रासायनिक यौगिक क्लोरोफिल बी. बौत जादा हूंद। जु दूध देंण बला गौरु खूंणि बौत जादा तागतवर हूंद। ह्यूंदा मैनों मा जब सबि डाळा ब्वाटा सूखी जंदिन तबि भ्यूंळा डाळु हैरु हि रैंद।
भ्यूंळा झिकड़ जौ तैं क्याड़ा ब्वलें जान्द चुल्लु म आग जगौंणा काम बि अन्दिन।
भ्यूंला भौंटौ थैं सुखैकि की दस बारह दिनु खूणि पाणिक डंडि मा भिगौंणा खूणि धरे जांद। दस-बारह दिनु मा जब छाल सैड़ि जान्द तब वैंथै पाणि बिटि भैर निकले जांद अर छाल बिटि एक मीटर तक लम्बा स्योळू (रेशों) तैं निकलें जन्दिन। स्यौळू ज्यूड़ा बणौंण काम आंदन। भ्यूंळा ज्यूड़ा मुलैम हून्दन।
आज बजार मा मुण्ड धुंणा खूंणि बौत सर्या साबुण अर शैंपू छन पर पाड़ मा बौत पुरण जमना बिटि भ्यूंळा भौैंटा अर छाळन मुण्ड अर कपड़ा ध्वूणा खूणि कर्ये जान्द। भ्यूंळ म सोडियम अर पोटेशियम का गुण हून्दन। जु पाणि मा झाग पैदा करद। अब शिकाकाई मा बि भ्यूंळ मिलैकि शैंपू बण्यें जान्द।
अज्काल न स्यौळू न चप्पल अर थैळा बि बणै जंदन।