माणा गांव जख हूंद माँ सरस्वती क पूजा
चमोली जिळा म तिब्बत सीमा पर आखरी गौं माणा जख मां सरस्वती पूजा कर्यें जान्द। माणा से 40 किलोमीटर दूर तिब्बत सीमा फर माणा पास सरस्वती कु उद्गम स्थल मन्यें जान्द। सरस्वती यख बटि हिमखंडु क ताल बटि बौगि की माणा मा दर्शन दिन्द।
माणा क भीम पुल मा सरस्वती क पूजा कर्यें जान्द। देस विदेस बटि मनखि यख पौंछ्दन। वेद पुराणु म बत्यें ग्यायी कि सरस्वती माणा मा अलकनंदा म मिलिकि समैं जान्द।
यांक पिछने क कहानी च कि जब वेदव्यास जी गणेश जी तैं महाभारत लिखवाणा छायीं तब सरस्वती क हल्ला न ऊंतैं दिक्कत हूंणि छायीं, उन्न सरस्वती से विनती कायी, कै टुप्प (चुप) कैकि बोगणि रै पर सरस्वती नी मानी। बस यीं बात से नराज वेदव्यास स सरस्वती तैं श्राप दे अर बोलि की तेरू नौं यखि तक रालु। शास्त्रौं क अनुसार तबि बटि सरस्वती तैं माणा मा केशव प्रयाग म अलकन्दा म समौंणा क बाद क विलुप्त मन्यें जान्द। अलकनन्दा मिलिण क बाद सरस्वती कु रंग नी दिख्येंदु। शास्तौं म ब्वलें ग्यायी कि सरस्वती प्रयागराज मा प्रकट हून्द। माणा म सरस्वती कु मंदिर क अलाव वेदव्यास अर गणेश मंदिर पर छन।