खबरदार करणु च प्रदूषण कु स्तर . . .
‘बड़े शहर से डर लगने लगा, चलो अब लौट चलें जंगलों में ’ एक उर्दू कवि क या लैन आज याद आणि च। किलैकि आज जख दिल्ली म आम मनखि कु सांस लिंण बि मुसकिल ह्वैग्यें व वखि उत्तराखण्डा हलात ठीक नीं छन। उत्तराखण्ड म देरादूण, हरद्वार, ऋषिकेश अर काशीपुर म प्रदूषण खळाखळ बढ़दै जाणु च। उत्तराखण्ड प्रदूषण बोर्ड न बग्वाल से पैलि जु आंकड़ा बतैं न वु डरौंणा छन। राजधानी देरादूण हवा अब सांस लिंण लैक त छैंच पर सांसक बिमरि वला लोगु खूंणि दिक्कत पैदा करणि च। 25 अक्टूबर खूंणि देरादूण कु एक्यूआई 58 छायीं त पांच नवम्बर खूंणि यु द्वी गुणा से बि जादा 124 ह्वैग्यें। देरादूण मा 4 अक्टूबर खूंणि रिस्पना पुल पर एक्यूआई 110 छायीं, वु 4 नवम्बर खूंणि 204 ह्वैग्यें। इन्न नैनी बेकरी मा 4 अक्टूबर खूंणि 100 छायीं, वु 4 नवम्बर खूंणि 151 ह्वैग्यें। उन्न त 101 बटि 200 तक एक्यूआई ठीक हूंद पर यु अस्थमा अर जिकुड़ि क मरीजु खूंणि खराब हूंद। देरादूण मा प्रदूषण नपण वलु यंत्र जगा-जगों मा लग्यां छन। देहरादून म जादा जगों मा एक्यूआई संतोषजनक च। बग्वाल से पैलि हि हवा म रळबळ (मिलना) वला कणु मा पिछल दिनु बटि कुछ बदलाव दिखेंय्णु च। हमर देसा सैरु (शहरों) मा जन्नि जड्डू सुरू हून्द लोगुक स्वास्थ्य खराब हूंण बैठि जान्द। इन्न मा जु मनखि पैलि बटि बिमार छन, ऊतैं दिक्कत ह्वै सकदि। इन्न लोगु तैं आंखौं मा चमलाट, जिकुड़ि, गौळा म वाइरल जन्नि दिक्कत हूंण बैठि जन्दिन।
इन्न मा बडु सवाल हि यौं च कि आखिर प्रदूषण क्या च? त प्राकृतिक संतुलन मा दोष हि प्रदूषण कु बडु कारण च। खळाखळ बढ़णि जनसंख्या, अपड़ि सुख सुविधौं खूंणि प्रकृति क दगड़ मा जादा छेड़छाड़ हि प्रदूषण एक हौरि बडु कारण च। आज हवा, पाणि, हमरि जमीन सबि प्रदूषित हूंणि छन। औद्योगिक तोक बटि निकलण वलु धुंवा, रासायनिक कींच सबि वातावरण तैं खराब करणा छन। हमरि मोटर गाड़ी से निकलण वलु धुंवा अर घूंग्याट (गांड़ियों की आवाज) सबि वातावरण तैं प्रदूषित करणा छन।
आज बगत से पैलि म्वरण वलों कु सर्या दुन्या म चौथु सबसे बडु कारण बि प्रदूषण हि च। प्रदूषण क जलड़ौं मा हम हि छां, हमर जीणा तरीका च। प्रकृति मा त अप्फि सब कुछ ठीक करणा क्षमता हूंद अर प्रदूषण तैं ठीक करणा क्षमता हूंद। उ त हम छौं जु प्रकृति तैं अपडु काम नी करण देंदा अर न हि प्रकृति से कुछ नी सिखदौं। हमथैं इन्न लगदु कि प्रकृति हम खूंणै हि च बस, प्रकृति म हमतैं अपडु फैदा हि दिय्खेंद बस।
जन्नि जड्डु सुरू ह्वै वातावरण म प्रदूषण बढ़िग्यें। इन्न मा बडु सवाल हि यौं च कि आखिर यांकु जिम्मेबार कौच? त यांका जिम्मेबार बि हम हि छौं। इन्न मा बग्वाल से पैलि प्रदूषण बढ़णु च, त बग्वाल बाद स्थिति क्या होलि या स्वचणा बात च? प्रदूषण रवक्णा खूंणि अब बस जागरुकता हि समाधान च अर हम सब्यौं तैं या खूंणि कोसिस करण प्वाड़लि ब्वलें जै सकदु की स्वस्थ पर्यावरण खूंणि हमतैं अपड़ा रहन सहन क तरीकों म बदलाव करण प्वाड़लु अर पर्यावरण परवा करण वलु समाज बणाण प्वाडलु। अर यांकी सुरुआत आज अबि ऐसु बग्वाल बटि हि सुरू करण प्वाड़ळि बग्वाल तैं उज्यालौं त्योवार क तरौं मनौंण प्वाड़लु न कि वायु प्रदूषण अर ध्वनि प्रदूषण। जै से हम अपणि औंण वलि पीढ़ि तैं साफ हवा, पाणि स्वस्थ्य जिन्दगी दे सक्यां।