‘एक देस एक चुनौ’ अबि त चबळाट जादा दिख्येणि च

क्य हिन्दुस्तान म ‘एक देस एक चुनौ’ ह्वै सकदन, या बातिक सम्भौवना खूंणि भारत देसा पैल्यक राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद क अध्यक्षता मा एक समिति बण्यें ग्यायीं। ‘एक देस, एक चुनौ’ खूंणि जब कमेटी बण्यें ग्यें त छ्वीं हूंणि जरूरी छन।

किलैकि लोकसभा अर देसा सबि विधानसभौं मा चुनौ करौंणा द्वी अलग -अलग बात छन। एक राजनैतिक अर एक तकनीकी। तकनीकी क रुप मा दख्यें ज्या त यु सबि ठीक च, अर राजनैतिक आंखा न दिख्यें ज्यां त क्वीं बि राजनीति पार्टी कबि नी चांद क सर्या देसा म लोकसभा अर विधानसभा चुनौ एक दड़ग मा हूयां। राजनैतिक पार्टियौं क स्वचण च कि लोकतंत्र मा पांच साल तक चुनौ कु जग्वाल करण से लोकतंत्रं कु नुकसान ह्वै सकदु , इल्लै ब्वलें जांद बल जिंदा कौम पांच साल इंतजार नी कै सकदि।

समिति क्य फैसला दिन्न या बात त बाद बात च फर यु साफ ह्वैग्ये नरेन्द्र मोदी न लोकसभा चुनौ 2024 क तय्यरि सुरू कै याली। अब केन्द्र सरकार क ‘एक देस एक चुनौ’ क फैसला पर विपक्ष कतगा बि हो-हल्ला कर्यां अबि तक केन्द्र सरकार यीं दिसा मा अगनै बढ़िग्ये।

या बात इल्लै ब्वलें जाणि च कि सरकारन संसद कु विशेष सत्र बुल्यें याली, अर ‘एक देस एक चुनौ’ खूंणि समिति बि बणें याली। इल्लै या खबर च छ्वीं हूंणि च की संसद कु खास सत्र मा ‘एक देस एक चुनौ’ फर बिल ऐ सकदु।

अब सवाल च कि ठीक चुनौ से पैलि ‘एक देस एक चुनौ’ खूंणि समिति क जरूरत किलै प्वोड़ि? सवाल च कि क्य देस म केन्द्र अर राज्य सरकार चुनौ एक दगड़ मा ह्वै सकदन? अगर केन्द्र सरकार यीं दिसा मा अपड़ा कदम तैं अगनै बढ़ौंद त संविधान मा कुछ बदलि करणा जरूरत च, अर इन्नु बि भवैष्य मा संवैधानिक बदलवा खूंणि चिंताजनक बि साबित ह्वै सकदन।

अब क्या केन्द्र सरकार 2024 लोकसभा चुनौ क दगड़ मा प्रदेसा चुनौ बि करणौं फर विचार करणि च। अगर इन्न च त क्य उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, गुजरात, गोवा अर उत्तराखण्ड प्रदेसा सरकारू तैं भंग कर्यें जालु या फिर कतगै प्रदेस सरकार कु कार्यकाल तैं अगनै बढ़यें जालु, इन्न सवाल त बौत छन किलै यखम सवाल केन्द्र सरकार मंशा पर बि छन। आखिर सरकार तैं इतगा जल्दी एक देश एक चुनौ क बात किलै करणि च।

चुनौ से पैलि सरकार चुनौ जितणा खूंणि इन्न कै घोषणा करदि, वांकु मकसद सिरफ अर सिरफ चुनौ जितणा कु हून्द। पर एक देस एक चुनौ मा क बात चुनौ से पैलि, यखम क्वीं त खास बात च। अर यांक पिछनै कु बडु कारण च विपक्ष कु एक हूंणू , यीं कारण च सरकार लोकसभा चुनौ 2024 से ठीक पैलि ‘एक देस एक चुनौ’ पर कमेटी बण्यें याली। अगर इन्न नीं हूंद त भाजपा पांच साल पैलि बटि तय्यरि करदि। साफ च भाजपा तैं विपक्षा एकता से अपच ह्वैग्यायी, अब भाजपा कु मकसद च कि विपक्षा एका तैं कनिकैकि बि अलग कर्यें ज्यां। यीं कारण च भाजपा आज लोकसभा चुनौ से एक देस एक चुनौ क बात करणि च। अर तर्क दिये जाणु च कि यान चुनौ मा हूंण वलु खरच कम ह्वै जालु।

अब स्वचण वलि बात या च बल देस म सबि चुनौ एक दगड़ म हून्दन अर अपड़ा पांच साल कार्यकाल क बीच म क्वीं बि प्रदेसा या बल केन्द्र सरकार गिर जान्द त क्य सर्या देस मा दुबरा चुनौ होलु या फिर पांच साल क भितर कखि राज्य सरकार गिरि जान्द, त क्य वख चुनौ होला या पांच साल तक राष्ट्रपति शासन रालु अगर इन्नु होलु त देस मा 6 मैना मा चुनौ करणा कु संवैधानिक बाध्यता कु क्या होलु? अर अगर चुनौ होला त फिर ‘एक देस एक चुनौ’ कु मतबल हि खतम ह्वै जान्द।

देसा मा साल 1967 बटि पैलि लोकसभा अर विधानसभा क चुनौ दगड़ि हूंदा छायी। देस आजाद हूंण बाद 1951-52, 1957, 1962 अर 1967 मा लोकसभा अर विधानसभा चुनौ दगड़ा दगड़ि ह्वीं। 1967 क बाद लोकसभा अर विधानसभा अलग-अलग बगत मा भंग ह्वींन। जै कारण से एक दगड़ चुनौ कु क्रम टूटिग्यें। इन्न मा सवाल त यौ बि च कखि ‘एक देस अर ऐ चुनौ’ क बात बि उन्न त नी होलि जन दलबदल विधेयक कु ह्वै।

वखि दुसर तरफि ‘एक देस एक चुनौ; मा जादा सम्भौवना या च कि मतदाता चुनौ मा देसा मुद्दों फर जादा बोट देन्दन, या से राष्ट्रीय दलु तैं क एक देस एक चुनौ मा फैदा हवै जालु अर जु क्षेत्रीय दल छन उंकु त बजूद हि खतम ह्वै जालु। इल्लै अबि त इन्न लगणु च भाजपा एक आदमि नौ फर सर्या संसद अर देसा सर्या विधानसभा तैं चुनणा कु महौल बणौंण कु काम करणि च।

पर अबि सब भवैष्य पुटगा म च, बस अब देस जनता फर च वा क्य स्वचद अर क्य फैसला करद अर देस अर देसा राजनीति तैं कै दिसा म लिजांद, पर यु सब 2024 चुनौ मा क बाद हि पता चललु। अबि एक देस एक चुनौ क बात म केवल चबळाट (जल्दीबाजी) जादा दिख्येणि च।

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