रखड़ी : भै-बैण्यों कु प्रेम कु त्योवार

रक्षा सूत्र बन्धद्दा वामण जी एक श्ळोक ब्वळद –

येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः
तेन त्वाम प्रतिबद्धनामी रक्षे माचळः माचळः।

ऐ श्ळोक क मतळब च कि जन्न रक्षा क् धागळ वीर दानवेन्द्र राजा बळि थैं बंधेंग्यें छायी, उन्न धागळ मि तुमथैं भि बंधद्दु। तुम अपड़ा संकल्प से कभि भि न घबर्यां।

रखड़ी कू त्योवार भै-बैण्यों दगड़ा- दगड़ा सब्बि माया क रिस्तों थैं बंधणा के एक त्वार च। ई कारण च रखड़ी क दिन भैजी भुल्ळा थैं हि न बल्कि अपड़ा नातों थै। भि रक्षा सूत्र बंधणा क चळन च। रखड़ी कू त्योवार मा गुरू अपड़ा चेळों थैं रक्षासूत्र बंध्द, त चेळा अपड़ा गुरू थैं।

रखड़ी कू त्योवार समाज अर कुटम्दिरि थैं एक धागु मा बंधणा कू एक सांस्कृतिक त्योवार च। रखड़ी कू त्वार धागु कू एक ईंनु त्वार च जू घार-घार मा रिश्तों थैं नै ऊर्जा दीन्द। रखडी़क त्वार क दिन बैण्यों मा उमंग अर उत्साह रैंद अर अपड़ा भै-भुल्ळों क हाथ मा रखडी़ बंधणा खूंणि रगरयाट रैंन्द।

रखड़ी कु यू त्योवार बौत पुराणू च। यू त्वार ब्यटूळोें क सम्मान अर ऊंकि सुरक्षा खूंणि च। ऐ दिनमा बैंणि अपड़ा भैजी भुल्ळों क हाथ मा रखड़ी बंधीं अर बरमुण्ड मा टीका लगन्दिन अर ऊंकी लम्बी उमर खूंणि प्रार्थना करदी।

इन्न ब्वळे जांदा कि रखड़ी यू धागु भै-बण्यों क मायाळु बंधन थैं औरि मजबूत करदु अर हर सुख-दुख मा एक दूसर दगड़ रैंणा कू विश्वास दिळान्द।

भैं-बैंण्यों का दगड़ औरि भावनात्मक रिसता भि ऐ त्योवार मा बंधां छन। ऐ त्वार मा भैजी भुल्ळों थैं हि न बल्कि अपड़ा जाणपच्याण वळों थैं रक्षासूत्र बंधणा कू चळन च।

ऐ दिन गुरू अपड़ा चेळों थैं, त चेळा अपड़ा गुरूऔं थैं रक्षासूत्र बंध्दन अर आशीर्वाद ळिन्दन।

ईं परम्परा मा पण्डित जी अपड़ा यजमान थैं रक्षासूत्र बंध्दन अर द्विया एक दूसर क सम्मान अर एक दूसर क रक्षा करणा खूंणि बंधन मा बंध जन्दिन। रखडी़ कू त्वार भै-बण्यों क हि न बल्कि सर्या मानव सांस्कृतिक अर रीति रिवाजू क सम्मान च।

पुराणों मा रखड़ी कु त्योवार

पुराणों मा ऐ त्वार का बारा मा इन्न च कि हजारों साळा पैळि रखड़ी कु त्वार शुरू ह्वै छायी अर सबसे पैळि रखड़ी राजा बळि थैं बंधेग्यें छायी। राजा बळि थैं औरि कैळ न बल्कि माता लक्ष्मी न रखड़ी बांधि छायीं।

राजा बळि न जब स्वर्ग थैं छीनणाक कोशिश कायी जब देवराज इन्द्र न भगवान विष्णु से प्रार्थना कायी। भगवान विष्णु न वामण बंणिक राजा बळि से भीक्ख मा तीन फलांग जमीन मांगी अर भगवान ने द्वी फलांग मा हि सर्या धरती थैं नापि द्यायी तब भगवान विष्णु न राजा बळि थैं तिसरू फळांग दिंणा खूंणि ब्वाळ। त्बरि तक राज बळि समझि ग्यें कि ईं कुईं जन्नि -कन्नि वामण नि च। राजा बळि न अपडु़ मुण्ड भगवान विष्णु क समणि झूक्के द्यायी। खुश ह्वैकैकि भगवानन राजा बळि से वरदान मंगणा खूंणि ब्वाळ। राजा बळि न ब्वाळ कि भगवान म्यारा द्वार पर दिनरात खण्डा र्यां। अब भगवान राजा बळि क चौकीदार ह्वैग्यीं।

ब्वळें जांदा कि भगवान जब स्वर्गळोक मा नि पौंछि तब माता लक्ष्मी राजा बळि क यख गायीं अर राजा बळि थैं रक्षा क धागु बंधिक अपडु भै बणैं द्यायी। अर राजा बळि बटि भगवान विष्णु थैं मांगि। वै दिन बिटि हि बैंणि अपड़ा भैजी भुळों थैं रखड़ी बंधिदिन्न अर अपड़ा भैजी भुल्ळों से अपणि रक्षा कु वचन लिन्दन।

रखडी़ कू त्योवार क जिकर महाभारत मा भि च। जख युधिष्ठिरन भगवान कृष्ण से पूच्छी कि मि सब्बि विपदा थैं कन कैकि पार कैरि सकदों। तब भगवान कृष्णन ऊथैं अर उंकी सेना थैं रखडी़ क त्वार मनौंणा क सळाह द्यायी। उन्न ब्वाळ कि ऐ धागु मा इतगा ताकत च कि तुम कै भि विपदा से अराम से पार ह्वै सकदो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *