लोक त्योवार ‘फूलदेई’ थैं ‘बाल त्योवार’ क रुप मा मन्यें जाळुः मुख्यमंत्री
भराड़ीसैंण। उत्तराखण्ड क लोक त्योवार फूळदेई क मौका फर आज मुख्यमंत्री न भराड़ीसैंण तोक मा नौन्यालु क दगड़ फूळदेई कु त्योवार मन्यें।
ऐ मौका फर नौन्याळुन मांगल गीत लग्यें अर रंगिळा पिंगळा फूळु क बरखा बि कायी।
मुख्यमंत्री न सबि प्रदेसा रैवासियों थैं फूळुदेई क बधै दे अर बोलि कि हमरि संस्कृति अर परम्पराओं क पछ्याण खूंणि हमरा लोक त्योवार साख हूंदन। हमथैं अपड़ा लोक त्योवार अर पछ्याण तैं अगनै बढ़ौंणा क दिसा मा खळाखळ कोसिस करण चैंद।
मुख्यमंत्री न बोलि कि नौन्याळु थैं अपड़ि लोक संस्कृति अर लोक परम्पराओं से ज्वड़णा रखणा खूंणि लोक त्योवार फूलदेई थैं आण वळु बगत मा ‘बाल त्योवार’ क रुप मा हर साळ मन्यें जाळु।
मुख्यमंत्री न बोलि कि द्बतौं क भूमि मा मन्यें जाणु वळु यु लोक त्योवार ‘फूलदेई’ हमरि संस्कृति कु ऐना क दगड़ मा हमरि परंपराओं तैं बि ज्यूूंदू रखदू।
फूल देई … छम्मा देई, देणी द्वार . . . भर भकार देई।
फूल देई . . . छम्मा देई।
फूल देई फूल देइ, जतुकै देला उतुकै सही।
फूल देई . . . छम्मा देई, देणी द्वार . . . . भर भकार देई।
फूल देई … छम्मा देई।
फूल देई फूल देइ, जतुकै देला उतुकै सही।
कु मतलब च कि – देळि सदनि फूळु न भ्वरि रयां, अर घौर मा सदनि सबि सुखि संति रयां, नाज क भण्डार सदिन भ्वरयां रयां।
फूळुदेई चैत क मैना सगंरदी दिन मन्यें जान्द। ये त्यार खूंणि कखि फूलदेई त कखि फूलदेळी भी बुले जांदा।
चैत मैना मा गौं क नौन्याळ बिनसरि मा उठिक बुरांश, फ्यूंली, लाई, ग्वीर्याल, किनगोड़, हिसर, अर होरि भि ज्वीं फूल मिल ज्यां तोड़िकि ल्यांदन।
फूलुंळ भ्वरि थकुलि या ठुपरी, कण्डी थैं लेकैकि गौं मा सब्बि मौं (परिवार) देल्ळियों मा फूळ डळि दिन्दन अर फूळदेई छम्मा देई बोलि कि मंगल कामना करदन।