बेरोजगारु कु उमाल, उत्तराखण्ड तैं नै दिसा देंण खातिर च न कि . . .

प्रदेसा बेरोजगारु क दगड़ मा देरादूण मा जु ह्वैं, वा न प्रदेसा रैवासियों कु मुण्ड जरुर निस ह्वैग्यें। आखिर बेरोजगारु नौन्याळु क मांग क्या छायीं। ई कि प्रदेस मा भर्तियौं मा जु बि घपरोळ ह्वै वांकी जांच सीबीआई से कर्यें ज्यां। क्या या मांग गलत च?

प्रदेस बणणा क बाद से उत्तराखण्ड मा नौकरी मा ज्वा लुटपाट ह्वैं वा आज सब्यौं क समणि च। उत्तराखण्ड मा कबि विधान सभा मा पिछनै द्वार बटि, कबि भर्तियों मा नकल, घपरोळ अर रुप्यां लेकैकि अपड़ों अकामियौं (अयोग्य) तैं सरकारि नौकरि दियेग्यें। ज्वान नौन्याळ दिनरात मेनत करणा छन अर आखिर मा हूंण क्या च। नौकरि कु पेपर लीक ह्वै जाणु च या नौकरि अकामि तैं मिळि जाणि च। ई वु बडु कारण च कि आज ज्वान अपड़ा भवैष्य क परवा करणा छन अर सड़क्यौं मा छन।

पैळि यूकेएसएसएसी अर अब उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग, द्विया आयोगु पर बटि भरोसु उठिग्यें। सरकार बार-बार भरोसु देंणि च अर इमत्यानु क बाद पता चलणु च पेपर लीक ह्वैग्यें। ईं वु कारण च बेरोजगार सरकार तैं देखिक बि ठरठरो (नाराज) हूंया छन।

बेरोजगार संघटन बौत पैळि बटि भर्ति घपरौळु क सीबीआई जांच करणा क मांग करणु च पर सरकारक कन्दुण मा खज्जि बि नीं ह्वै किलैकि सरकार तैं पता च कि सीबीआई जांच ह्वैळी त बौत बड़ा-बड़ा सरकारि माछा सीबीआई क जिबाल (फंदा) मा ऐ जाला। ईं वु कारण च कि सरकार सीबीआई जांच करण से डरणि च।

आज सड़कि मा बैठ्यां बेरोजगार अप्पु खूंणि नौकरि नी मंगणा छन। उंकी मांग त इतगे च कि पैळि, नकल विरोधि कानून बण्यें ज्यां अर तबि क्वीं भर्ति इमत्यान कर्यें ज्यां अर अबि तकाकि जु बि भर्ति इमत्यान ह्वीं जै मा घपरोळ ह्वै, वांकी सीबीआई जांच कर्यें ज्यां। इमत्यान मा नकल करण वळों क नौ बत्यें ज्यां, अब या मा गलत क्या च।

अब या बात सरकार तैं बि मनण चैंद कि प्रदेस बणणा क बाद अबि तक प्रदेस मा जु बि भर्ति ह्वीं वै मा खूब घपरोळ कर्यें ग्यें अर यान या बात बि साबित हून्दन कि हमरु राज्य कु सिस्टम तैं लैक कम अर अकामि ळोग हि जादा चलौंणा छन।

यख या बात भि स्वचण वळि च कि जब सरकार न ज्वां बात बेरोजगार संघ क अब मानि याळी वा पैळि हि मानि दीन्द त प्रदेस मा इतगा बडु आन्दोलन नी हूंदू। या सरकार नाकामी च कि वु बेरोजगार संघा क टणाक (नराजगी) तैं समझि नीं साकी। अर पुलिसा एक गलती न आन्दोलन तैं औरि उग्र बण्यें दे। चुपचाप आन्दोनल मा बैठ्या बेरोजगारु तैं गांधी पार्क बटि राति मा उठौंणु अर ज्वान नौनियौं तै बिना ब्यटुळा पुलिसा कु उठौंण पर सवाल पर बि सवाल खड़ा हूंणा छन। आखिर पुलिस थैं इगता क्या जल्दी छायीं या फिर पुलिस बेरोजगारु क तागत तैं सुदि समझणि छायीं।

यखम पुलिस पर भि सवाल छन। क्या पुलिसन बेरोजगारु आन्दोलन तैं बौत हल्कु मा ल्यें? गांधी पार्क बटि राति मा बेरोजगारु तैं उठौंणु पुलिस तैं बौत भारी प्वौड़िग्ये? अर सर्या प्रदेसा ज्वान गांधी पार्क मा जमा ह्वैग्यीं अर पुलिस कु खुफिया तंत्र सियूं रैग्यें। आखिर या कैकि लापरवै च?

बेरोजगारु तैं गांधी पार्क बटि रातिमा उठौंणु पुलिसा बौत बड़ी गलती छै। पुलिसा एक गलती न टुप्प (शांतिपूर्ण) चलणु आंदोलन तैं उग्र बणें दे। साफ च कि सरकान बेरोजगारू सिरड़ तैं क्वीं खास महत्व नी दे। सवाल यों चि कि बेरोजगारु क दिकादरि तैं पैळि हि सूंणि क ठीक कर्यें जान्दु त या नौबत हि किलै आन्दी।

बेरोजगार ज्वान नौन्याळ अपड़ा भवैष्य तैं लेकैकि चिन्ता मा छन। चिंता या च कि दिन रात इमत्यानु क त्यारि करणा छन अर इमत्यानु मा खळाखळ घपरोळ हूंणा छन, इमत्यान रद्द कर्यें जाणा छन अर उमर बढ़दै जाणि च। इन्न मा उथैं दोष नी दियें जै सकदु। यु उमाळ ज्वनी कु उमाल नीं च, यु उमाल अपड़ा हि ना बल्कि उत्तराखण्ड भवैष्य बढ़ौंणा कु खातिर प्रदेस तैं नै दिसा देंणा कु उमाल च।

अब सराकरन नकल विरोधी कानून त बणें याली। गिंदु अब सरकार तरफा च, अब सरकार तैं चैंद कि भर्ति इमत्यान मा जु बि आरोपी छन वु जेल मा हूंण चैंदन अर उथैं इन्न सजा हूंण चैंद कि अब भर्ति इमत्यान मा क्वीं बि घपरोळ करणा कि हिकमत त दूर सोचि बि नी सक्यां। अब सरकार क बड़ि जिम्मेबरि च कि कै भि भर्ति इमत्यानु मा घपरोळ नीं हूंण चैंद। सरकार तैं चैंद कि बेरोजगारु भरोसु दुबरा नीं टुटण चैंद।

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