रितु राज बंसत
माघ मैना मा शुक्ल पक्ष मा पंचमी खूंणि बसंत पंचमी मन्यें जान्द। ऐ दिन बटि बसंत रितु सुरु ह्वै जान्द। ऐ दिन मा कुदरत भि बसंत रितु कु स्वागत करणा खूंणि त्यार रैंदन।
सर्या देस मा बसंत पंचमी त्योवार खुसी-खुसी मन्यें जान्द ऐ दिन मां सरस्वती कु पूजा कर्यें जान्द। शिक्षा कला क तोक स जुड्यां ळोग बसंत पंचमी क दिन विद्या क देवी सरस्वती क पूजा अर्चना करदन।
किलै मन्यें जान्द बसंत पंचमी
बसंत तैं सर्यां ऋतुओं कु राजा ब्वलें जान्द। बसंत रितु क दिन बटि बसंत रितु सुरु ह्वै जांद अर ह्यूंद क दिन खतम हूंणा बटि जन्दन। बसंत रितु मा पतझड़ क बाद डाळौं मा नै-नै कुपळा आंण बैठि जन्दन। खेती पाति पिंगळा रंग मा रंगि जान्द। बग्वान मा फुळु क खुशबु, चखुळा कु चींच्याट (चहचाहट) अर मौनो (मधुमक्खी) कु भिभिड़ाण सूणें दिंण बैट्ठिी जान्द। हर जगा खुसी हि खुसी हूंद।
पौराणिक कथा
बसंत पंचमी तैं लेकैकि पौराणिक कथा च मान्यता च कि दुन्या तैं बणौंण वळा भगवान ब्रह्मा न जीवों अर मनखियों थैं बण्यें। उन्न ईं बातिक खास ध्यान दे कि वातावरण मा शांति अर क्वीं अवाज नीं हूंणि चैंद। जीव अर मनखि तैं बणौंणा क बाद भि ब्रह्मा जी खुस नी छायीं। उथैं धरती सुनसान अर इन्न लगणि छायीं कि ऐ मा क्वीं ज्यूं नीं च। यांका बाद ब्रह्मा न भगवान विष्णु से मंजूरि लें अर अपड़ा कमंडळ बटि धरती पर पाणि छिड़कि। जनि पाणि धरती पर पौड़ि उन्नि धरती मा कम्पन ह्वै अर एक रौंतेळि व्यटुळा प्रकट ह्वैग्यें। जै देवी क एक हत्थ मा वीणा अर दुसर हत्थ मा किताब अर माळा छायीं। ब्रह्मा जी न ब्यटुळा से वीणा बजौंणा क विनति कायी। देवी न जनि वीणा बजै, उन्नि सर्या दुन्या मा जगता भि जीव जंतु छायीं उंका गुच्च मा अवाज ऐग्यें। यांका बाद वीं देवी थैं ‘सरस्वती’ ब्वलें ग्यें। ईं देवी न अवाज क दगड़ा-दगड़ि विद्या अर बुद्धि भि दे। इल्लै हि बसंत पंचमी दिन मा सरस्वती क पूजा कर्यें जान्द। ईं देवी सरस्वती तैं बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी अर वाग्देवी जन्नि कै नामु न पूज्यें जान्द।
सरस्वती तैं ज्ञान, कला, संगीत, विज्ञान अर शिल्प कळा क देवी मन्यें जान्द। एक दिन थैं पंचमी अर सरस्वती पूजा क नौ से मन्यें जान्द। ऐ दिन छ्वटा नौनु तैं पैळु अक्षर लिखणु सिख्यें जान्द। ऐ दिनमा ब्वे, बुबा मां सरस्वती कु आशीर्वाद क दगड़ मा अपड़ा छ्वटा नौन्याळु तैं शिक्षा देंणाक सुरू बि करदन।
ज्योतिष विद्या मा पंचमी क दिन सबि सुभ कामु सुरू कर्यें जान्द अर नै कामु खूंणि पंचमी थैं सुभ मन्यें जान्द।