बागेश्वर धामा शास्त्री तैं शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द क चुनौती, जोशीमठ मा ऐकी भ्वां धसणि जमीन थैं रोकिक दिखावा
बागेश्वर धामा क महाराज क बारा मा मिथैं क्वीं जादा जाणकारि नीं च या बात शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द न बोलि उन्न बोलि कि ज्योतिष शास़्त पर अगर क्वीं भवैष्य बतै जाणु च त वु शास्त्र च, जै थैं हम मान्यता दिन्दन। उन्न बोलि कि धर्मगुरुऔं कु ब्वनु शास्त्र फर हूंण चैंद, अपड़ि तरफौं बटि नी हूंण चैंद। गुरु क गुच्चु बटि निकिळ क्वीं बि छ्वियों तैं हम मान्यता दिन्दन।
त वखि बागेश्वर धाम क चमत्कार पर शंकराचार्य न बोलि कि चमत्कार दिखौंणा वळों तैं जोशीमठ मा ऐकी भ्वां धसणि जमीन थैं रोकिक दिखौंण चैंद। उन्न बोलि हम ऊंकी जय जयकार करळा, अर ऊथैं नमस्कार करळा। स्वामी शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दन यु बोळ कि एक तरौं धीरेन्द्र शास्त्री बागेश्वर महाराज थैं चुनौती दे याळी।
धर्मातरण फर उन्न बोलि कि धर्म बदिळ करणा कु क्वीं धार्मिक कारण नीं च बल्कि धर्म बदिळ करण वळा वु ळोग छन, जौ कु मकसद राजनीतिक च अर वु सर्या संसार मा अपडु़ राज्य बणौंण चादन।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द न बोळ कि वेदु , शास्त्रों मा या बात लिखि च कि आजाक जिन्दगि मा राजा तैं सुख सुविधौं तैं छोड़िक जनु-खनु (साधारण) मनखिक तरां जिन्दगि जींण चैंद। जनु-खुन जिन्दगि मा रैकि हि वु जनतै कि जिन्दगि का औंणा विळ दिकदरि अर दिकदरि तैं दूर करणा क बारा मा सोचि सकदु।