कन्नु अर कैकु हित . . . ?

उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय न विधानसभा अध्यक्षा क विधानसभा मा बिना नियमाक नौकरि पर लग्यां कर्मचारियों थैं नौकरि बटि भैर करणा क आदेश पर रोक लग्यें कि प्रदेस सरकार थैं बडु झटका दे दे। उच्च न्यायालन न बोलि कि नौकरि बटि निक्लयां कर्मचारि अपड़ि नौकरि पैल्यक जनि करि सकदन। उत्तराखण्ड मा जन्नि या बात समणि ऐ कि विधान सभा मा कर्मचारी गलत तरीकों ळ भर्ति हूयां छन। त झट से विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी एक जांच समिति बण्यें अर अपड़ि रिपोर्ट 1 मैना मा देंणा खूंणि बोलि। समिति न दिन-रात एक कैकि जांच कायी अर बतै कि विधानसभा मा 2016 अर 2022 मा ह्वीं भर्ति नियम क जरिया नी कर्यें ग्यीं। जनि या बात जांच समिति न विधानसभा अध्यक्षा थैं बतै झट उन्न गलत तरौं लग्यां कर्मचारियों थैं विधानसभा बटि भैर कु वाटु दिख्यें दे। अब ऐ मामला मा उच्च न्यायालन विधानसभा अध्यक्षा के ऐ फैसला पर रोक लग्यें दे।

अब सवाल यु उठाणा छन कि विधानसभा अध्यक्षा न जांच कु प्रपंच किलै कायी? हां यखम जीत कैकि नीं ह्वै अर हार भि कैकि नीं ह्वै? हां यखमा ठग्यें ग्यायी त उत्तराखण्ड अर ठग्ये ग्यंे वु बेरोजगार नौना जु मेनत कायी इमत्यान क त्यारि करणा छन अर ़भवैष्य क सुपिना दय्खणा छन।

या बात भि सै च कि विधानसभा मा बिना नियमाक नौकरि लग्यां कर्मचारियों से जादा जादा दोसि ऊथैं नौकरि देंण वला पैल्यक विधानसभा अध्यक्ष छन हि छन पैल्यक विधानसभा अध्यक्षों न नौकरि देंणा मा क्वीं नियम कानून कु पालन कै। अर न हि अबक विधासभा अध्यक्षा ऋतु खण्डूड़ी न ऊंथैं नौकरि से भैर करणा मा क्वीं नियम कानून कु पालन किलै नीं कायीं अर न हि क्वीं कानूनी सलाह ले। ईं वु बडु कारण छायीं कि विधानसभा बटि नौकरि बटि निकल्यां कर्मचारियों थैं उच्च न्यायाल मा बचणा कु मौका मिलिग्यें।

इन्न मा विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी पर सीधा सवाल छन। कि जु गलती पैल्यक विधानसभा अध्यक्षों विधानसभा मा नौकरि दंेणा म कायी, वीं गलती ऋतु खण्डूडी न किलै कायी। सवाल यौं च कि ऋतु खण्डूड़ी न पैळि कानूनी जणगुरुवों से सलाह किलै नीं ल्यें। आखिर किलै बिना कारण बत्यें अर बिना सूचना दियें सिरफ लोकहित मा कर्मचारियों सेवा खतम कलै कर्ये ग्यें?

लोकहित मा हि विधानसभा अध्यक्षा अर मुख्यमंत्री क खुब वाहवाही हूंणि छ। सैद लोकहित मा हि पैल्यक द्विया विधानसभा अध्यक्षों पर जौक बगत मा या भर्ति ह्वै ऊंक खिलाफ क्वीं कारवै अबि तक नीं ह्वै? अर लोकहित कु फैदा द्विया विधानसभा अध्यक्ष अर पिछनै क द्वार बटि भर्ति हूंया थैं हि मिलि न की प्रदेस थैं ? लोकहिता कु फैसळा फर उच्च न्यायालय न लोक हित मा हि रोक क्या लग्यें कि प्रदेस का बेरोजगार एकदा दूबरा ठग्यूं ग्यें। बेरोजगार अब अप्फु से हि पुच्छणा छन कि यु कन्नु लोकहित च अर कैकु हित च ?

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