राजीव गाँधी नवोदय विद्यालय बंद किये जाने से नाराज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत , कहा 1 जून को विरोध स्वरूप करेंगे उपवास
दून। जिस उम्र में बच्चें स्कूलों में अपनी पढ़ाई करते है उस उम्र में यदि बच्चे धरने पर बैठ जाये तो क्या कहा जायेगा।
जी हाँ, ऐसा ही एक मामला शनिवार को उत्तराखंड के जोशीमठ सामने आया। दरअसल स्कूली बच्चों द्वारा किए जा रहे इस धरने का मामला जोशीमठ राजीव गांधी नवोदय विद्यालय के छात्र-छात्राओं का है। बच्चे अपने स्कूल को बचाने की मांग लेकर शनिवार 28 मई को एसडीएम कार्यालय में धरने पर बैठ थे।
बता दें कि सरकार राजीव गांधी नवोदय विद्यालय का विलय दूसरे स्कूल में करने जा रही है। राजीव गांधी नवोदय विद्यालय का विलय किया जाने के सरकार कोई ठोस कारण नहीं बता पा रही है।
यही बड़ा कारण है कि बच्चे अपने स्कूल का दूसरे स्कूल में विलय किये जाने का विरोध कर रहे हैं। बच्चे यहां तक कह रहे है कि यदि उनके स्कूल का किसी अन्य स्कूल में विलय किया गया तो वह स्कूल ही छोड़ देंगे।
#शिक्षा के क्षेत्र में कांग्रेस की सरकार ने #मंत्री_प्रसाद_नैथानी जी की पहल पर उत्तराखंड की शिक्षा पद्धति में सुधार के निरंतर प्रयास किये, राजीव गाँधी …https://t.co/rnbNPXAyoi.. लेकिन लोगों की स्मृति से आप राजीव गाँधी को नहीं निकाल सकते।#राजीव_गाँधी_जिंदाबाद pic.twitter.com/Kx3O2xE6TT
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) May 30, 2022
राजीव गाँधी नवोदय स्कूल बंद करने के फैसले पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने नाराजगी जाहिर की है। हरीश रावत ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से कहा है कि क्षेत्र में कांग्रेस की सरकार ने मंत्री-प्रसाद-नैथानी जी की पहल पर उत्तराखंड की शिक्षा पद्धति में सुधार के निरंतर प्रयास किये, राजीव गाँधी नवोदय विद्यालय, राज्य में जवाहर नवोदय विद्यालय की तर्ज पर खड़े किये गए। 2014-15 में हमने उसी तर्ज पर राजीव गाँधी अभिनव स्कूल जो उन स्कूलों के बच्चों के लिए बनाये गए जिन क्षेत्रों में छात्रों की कमी से स्कूल बंद हो रहे थे और जो बच्चे पढ़ना चाहते थे, उनके सामने एक ही विकल्प रहता था या तो प्राइवेट स्कूल में जाएं और यदि फीस नहीं दे सकते हैं तो फिर घर बैठें, उन बच्चों के लिए राजीव गाँधी नवोदय स्कूल की तर्ज पर राजीव गाँधी अभिनव स्कूल स्थापित किये गए। इसी दौर में हमने हाई स्कूल और इंटर स्कूल के स्तर पर शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए भी 575 मॉडल स्कूल चयनित किये और उनको विकसित किया। चलिए मॉडल स्कूलों का आप नाम बदल लीजिये, मगर आप राजीव गाँधी अभिनव स्कूल और राजीव गाँधी नवोदय स्कूलों को बंद कर रहे हैं, आपको इस देश में आधुनिक, दूर संचार व कंप्यूटर क्रांति के अग्रदूत, पंचायती व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा देने और 18 साल के नौजवान को भी वोट का अधिकार देने वाले राजीव गाँधी से इतनी नाराजगी क्यों हैं कि आप उनके नाम पर स्थापित स्कूलों को बंद कर रहे हैं! ये दुष्प्रयास हैं, मैं इस दुष्प्रयास की घोर निंदा करता हूँ और यदि सरकार ने अपने इस दुष्प्रयास को नहीं छोड़ा तो मैं कॉंग्रेसजनों से प्रार्थना करूँगा कि इस दुष्प्रयास के विरोध में अपने घर में ही बैठ कर सही उपवास प्रारंभ करें और गांधी वादी तरीके से अपने-अपने लोकतांत्रिक विरोध को दर्ज करें।
उन्होंने कहा कि मैं भी 1 जून को इस तरीके का विरोध अपने आवास पर उपवास के माध्यम से दर्ज करूँगा। मगर एक बात याद रखो आप राजीव गाँधी नवोदय स्कूल, राजीव गाँधी अभिनव स्कूलों को बंद कर सकते हैं, लेकिन लोगों की स्मृति से आप राजीव गाँधी को नहीं निकाल सकते।