राजनैतिक भविष्य के लिए . . .
उत्तराखंड की राजनीति में एक नए क्षेत्रीय दल का उदय हुआ है। ‘उत्तराखंड जनता पार्टी’ नाम से। पत्रकार से नेता बने उमेश कुमार ने अपनी पार्टी का नाम रखा है। उनके अनुसार उनकी पार्टी में वह तमाम लोग शामिल हो सकते हैं जो राजनीति में कुछ नया करना चाहते हैं।
बड़ा सवाल यही है कि उमेश कुमार ऐसा क्या नया करना चाहते है जो पिछले 20 सालों से कांग्रेस व भाजपा नहीं कर पाई? उमेश कुमार वही है जिन्होंने 2014 में राजनीति में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का स्टिंग ऑपरेशन कर कांग्रेस सरकार गिरवा दी थी। 2017 के बाद से लगातार उमेश भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार के निशाने पर भी रहे। खानपुर के दबंग विधायक चैंपियन की एक उत्तराखंड विरोधी टिप्पणी के कारण उमेश व कुंवर के बीच तीखी बहस के बाद कुछ ऐसी जंग छिड़ी कि उमेश ने चैंपियन को खानपुर में ही जाकर राजनैतिक अखाड़े में चुनौती दे डाली। हालांकि भाजपा ने खानपुर विधानसभा से प्रणव को टिकट न देकर उनकी पत्नी देवयानी को चुनावी समर में उतारा था। उमेश कुमार ने निर्दलीय मैदान में उतरकर न केवल कुंवर प्रणव कुमार को चुनौती दी बल्कि प्रणव की मांद में घुसकर चुनाव में जीतकर हासिल की और विधायक बने। प्रणव की धर्मपत्नी देवयानी को तीसरे नम्बर में धकेल दिया। यह बड़ा कारण है कि उमेश कुमार आज दहाड़े मार कह रहे है कि वो उत्तराखंड में नई राजनीति का उदय करने आए है और राज्य आन्दोलनकारियों के सपना का उत्तराखण्ड बनायेंगे।
यह हास्यास्पद है और उत्तराखण्डियत पर सवाल भी? सवाल यह है कि एक विधायक जिसे उत्तराखण्ड की भौगोलिक, आर्थिक स्थिति का तक तो पता नहीं वह उत्तराखण्डियों को उनके सपनों को साकार करने के क्या सपने दिखा रहा है? यहां सवाल भाजपा अर कांग्रेस पर भी है कि आखिर क्यों 20 साल राज करने के बाद भी क्यों नहीं आन्दोलनकारियों सपना का उत्तराखण्ड बना पायें। सवाल खानपुर की जनता जनमानस पर भी है कि आखिर ऐसी कौन कमी उत्तराखण्ड के विकास में रह गई थी कि उन्हें अपनों के बीच में अपना कोई विधायक नहीं मिला। सवाल यूकेडी के वजूद पर भी है कि राज्य निर्माण का दम भरने वाली यूकेडी आखिर क्यों प्रदेश में अपना जनाधार खोती जा रही है?
यही बड़ा कारण है कि प्रदेस में उत्तराखण्ड के नाम से ‘उत्तराखंड जनता पार्टी’ का आगाज हो रहा है या फिर यू कहें कि आयात हो रहा।
उमेश कुमार ने नई पार्टी का आगाज कर अपनी मंशा साफ कर दी है। बहरहाल उमेश कुमार उत्तराखण्ड के क्या भला करना चाहते है यह सब भविष्य के गर्भ में है लेकिन तय है कि उत्तराखण्ड के नाम का सहारा लेकर उमेश कुमार ने अपने राजनैतिक भविष्य के उदय के लिए उत्तराखण्ड के राजनैतिक अखाड़े में कदम रखा है न कि उत्तराखण्ड की जनता के हितों की रक्षा के लिए।