धर्म संसद मामले में सुप्रीम कोर्ट का केन्द्र व राज्य सरकार को नोटिस

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार और दिल्ली में अभी हाल में आयोजित हुए कार्यक्रमों में कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण देने वाले लोगों के खिलाफ जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर आज सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश की याचिका पर नोटिस जारी किए गये है। पीठ ने याचिकाकर्ताओं को भविष्य में “धर्म संसद” आयोजित करने के खिलाफ स्थानीय प्रशासन को शिकायत देने की अनुमति दी गयी है।

न्यायालय ने मामले में आगे की सुनवाई हेतू 10 दिन बाद के लिए सूचीबद्ध किया गया। याचिका में विशेष तौर पर 17 और 19 दिसंबर 2021 को हरिद्वार और दिल्ली में दिए गए कथित रूप से नफरत पैदा करने वाले भाषणों का उल्लेख किया गया है और शीर्ष अदालत से ऐसे भाषणों से निपटने के लिए दिशा निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया कि एक कार्यक्रम हरिद्वार में यति नरसिंहानंद की तरफ से और दूसरा कार्यक्रम दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी’ की तरफ से आयोजित किया गया था और इन कार्यक्रमों में एक विशेष समुदाय के सदस्यों के नरसंहार का कथित तौर पर आह्वान किया गया था।

बता दें कि, हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में अब तक दो एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। एफआईआर में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ की गई नफरती और भड़काऊ भाषणबाजी करने पर यति नरसिम्हानंद और सिंघू सागर सहित 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। दस लोगों में कार्यक्रम के आयोजक यति नरसिंहानंद, जितेंद्र नारायण त्यागी (पहले वसीम रिजवी), सिंघू सागर, धर्मदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रबोधानंद गिरी शामिल हैं।

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