तिवारी ने ‘चेटीचंड’ को तो धामी ने ‘इगास’ को दिया महत्व

दून। उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद पिछले 20 वर्षों में राज्य सरकार द्वारा घोषित किए गए सार्वजनिक अवकाशों में से 3 अवकाश काफी चर्चाओं में रहे। ये अवकाश क्रमशः चेटी चंड, हरेला और इगास (बूढ़ी दिवाली) पर घोषित किए गए।

उत्तराखण्ड की पहली निर्वाचित सरकार (एनडी तिवारी सरकार) ने सिंधियों के सबसे लोकप्रिय त्यौहार ‘चेटी चंड’ पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था। उस वक्त सरकार के इस निर्णय की जमकर आलोचना हुई थी। नाराजगी जताते हुए प्रदेश के आम जनमानस ने इस बहाने उत्तराखण्ड के लोकपर्वों हरेला, इगास आदि पर छुट्टी की मांग तत्कालीन मुख्यमंत्री तिवारी से की थी। इसके बाद पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोकपर्व हरेला पर सार्वजनिक अवकाश का फैसला त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने पिछले वर्ष 2020 में लिया था, तब 16 जुलाई को हरेला पर सार्वजनिक छुट्टी घोषित की गई थी। अब युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहाड़ी लोकसंस्कृति के प्रतीक पर्व इगास पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है।

उत्तराखंड के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी सरकार ने लोकपर्व इगास को विशेष महत्व देते हुए राजकीय अवकाश घोषित किया है। धामी का यह निर्णय लोक संस्कृति व परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में ऐतिहासिक माना जाएगा। उत्तराखंडियत और लोकपर्व पर अवकाश को लेकर सिर्फ सियासत करने वाले राजनेताओं के गाल पर धामी सरकार का यह करारा तमाचा भी है।

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