नौ महीनों की कड़ी मेहनत से तैयार हुई आदि शंकराचार्य की मूर्ति

बाबा केदारनाथ मंदिर परिसर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से होते ही मैसुर के मूर्तिकार अरूण योगीराज की नौ महीने की मेहनत सफल हो गई।

2013 की बाढ़ के बाद केदारनाथ के पुनर्निर्माण के तहत आदि शंकराचार्य के समाधि स्थल को भी पुनर्जीवन दिया गया। वहीं आदिगुरु की प्रतिमा मैसूरु के कलाकार अरुण योगीराज ने तैयार करवाई। बेहद प्रसन्न उत्साहित योगीराज ने कहा कि मेरे लिए बेहद खुशी की बात है कि हमारी नौ महीने की मेहनत सफल हो गई। उन्होंने कहा कि 7 मूर्तिकारों की टीम ने नौ महीनों तक रोज़ 14 से 15 घंटे काम करने के बाद यह प्रतिमा तैयार की।

योगीराज ने बताया कि सरकार ने जब शंकराचार्य की मूर्ति स्थापना करने का फैसळा किया तो इसके लिए देश भर के मूर्तिकारों से मूर्ति के नमूने आमंत्रित किए गए थे। उन्होंने कहा कि हमने 2 फीट की प्रतिमा बनाई थी, जिसे प्रधानमंत्री के सामने सितंबर 2020 के सामने पेश किया गया था। पूरे भारत से चार से पांच नमूना प्रतिमाएं पेश की गई थीं, जिनमें से योगीराज की प्रतिमा को मंज़ूरी मिली और उन्हें 12 फीट की मूर्ति बनाने की ज़िम्मेदारी दी गई।

योगीराज ने बताया कि मूर्तिकारों की टीम के सामने चुनौती थी कि मूर्ति की संरचना ही नहीं, बल्कि मुद्रा, भाव और पारंपरिक पहलुओं को ध्यान में रखना था। उन्होंने कहा कि 12 फुट ऊंची मूर्ति प्रतिमा का वजन करीब 28 टन है। मूर्ति जुलाई में बन कर तैयार हो गई थी, जिसके बाद चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिए मूर्ति को उत्तराखण्ड लाया गया।

37 साल के योगीराज को पत्थरों के साथ कला के संस्कार जन्म से ही मिले। योगीराज के अनुसार उनका पहला स्कूल उनका घर ही था। इनके दादा वाडियार घराने के महलों के शिल्पी रहे. दक्षिण भारत के गायत्री और भुवनेश्वरी मंदिरों के शिल्प के लिए भी इस परिवार की पहचान रही।

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