108 सेवा नये हाथों में आते ही पुराने कर्मचारी हुए बेरोजगार
UK Dinmaan
प्रदेश में 108 का संचालन करने वाली कंपनी जीवीके के नई कंपनी को सेवा हस्तांतरित करने के बाद प्रदेशभर के 717 कर्मचारी के सामने अपने रोजगार को लेकर संकट खड़ा हो गया।
पुरानी कंपनी जीवीके में काम कर चुके 717 कर्मचारी ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए सरकार से अपने नौकरी बचाने की गुहार लगा रहे है। जीवीके 108 के कर्मचारी 30 अप्रैल से परेड ग्राउंड में अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना पर है। कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें दो माह से वेतन नहीं मिला है।
108 इमरजेंसी सर्विस देने वाली कंपनी GVK-EMRI का मंगलवार को काम का आखिरी दिन था। आज बुधवार 1 मई से नई कंपनी कम्युनिटी एक्शन थ्रू मोटिवेशनल प्रोग्राम (CAMP) इस इमरजेंसी सर्विस का काम संभाल रही है।
कर्मचारियों का कहना है कि 11 साल उन्होंने उत्तराखंड में काम किया। कर्मचारियों की सरकार से एक ही मांग है कि उन्हें नई कंपनी में मर्ज करे और उन्हें रूकी सैलरी दी जाए।
यानि प्राइवेट कंपनी के कर्मचारी सरकार से प्राइवेट कंपनी में नौकरी की गुहार लगा रहे हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि नई कम्पनी कैम्प ने नये कर्मचारियों की भर्ती शुरू कर दी है। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि कैम्प कम्पनी हमें मर्ज करने की शर्त रखी है। कैम्प कम्पनी हमें हमारी वर्तमान सैलरी से 3 से 5 हजार रूपये कम देकर कार्य करवाना चाह रही है। जो हमें मंजूर नहीं।
108 कर्मचारी संगठन के प्रदेश सचिव विपिन जमलोकी का कहना है कि वे पहले चरण में पहले धरना और फिर प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद भी अगर सरकार और नीति-नियंता नहीं चेते तो प्रदेश में चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जाएगा।
108 की पुरानी कंपनी के कर्मचारियों को धरने में कांग्रेस और यूकेडी का भी साथ मिल रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस कर्मचारियों के साथ और सड़क से लेकर सदन तक आवाज़ उठाएगी।
कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी के किसी बड़े नेता को फायदा पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश की नई कंपनी कैंप को काम सौंपा गया और उत्तराखंड के युवाओं की अनदेखी की गई।